मेरे साथी:-

Wednesday, May 7, 2008

मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले

आसमान की गोद में टिमटिमाते कई तारे
सितारों के बीच एक छवि तू बनाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

हँसा था तू, बात पुरानी हो चुकी,
यादों को आगोश में ले, संग उसके झिलमिलाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

खुशी के कुछ पल कभी आए तो थे,
यादों को ही तू अपने पलकों पे सजाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

मुस्कुराने का तुमने जो वादा है किया,
भूल के हर गम तू वो वादा बस निभाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

ज़माने की चोट से आँसू भी निकलते,
पर पानी में भींग के अस्कों को छुपाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

प्यार में है मजबूर तू, माना ये हमने,
आएँगी ख़ुद बहारें, खुशी के गीत गा ले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

याद रख तू, कोई तुझसे है जुडा,
अपनी नहीं तो उसकी, तू खैर तो मनाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

खोखली सबकी खुशियाँ, फ़िर तू क्यों ग़मगीन;
मुस्कुराना है रस्म, ये रस्म भी निभाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

तड़प तेरी मुझसे अब देखी नहीं जाती,
तड़प में भी थोडी-सी खुशी तू मिलाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

कहानी सिर्फ़ तेरी नहीं, हर एक की है,
अपनी ही बात तू ख़ुद को ही सुनाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

शिकवा गर तुझको है ज़माने से कोई,
दिल ही दिल में अपनी अलग दुनिया तू बसाले,
मेरे दिल तू आज फ़िर मुस्कुरा ले।

Wednesday, April 30, 2008

बेवफा

(ये कविता उन भाइयों के लिए है जिसे प्यार के बदले में बेवफाई मिली, ये उनके दिल की आवाज को बयां कर रहा है।)

समझा था मैंने तुझे वफ़ा की देवी,
पर बेवफाई की जीवित मूरत हो तुम,
सच है की तुम बहुत ही हसीं हो,
पर दिल से बहुत बदसूरत हो तुम।

कदर अपने दिल की गवाँ ली मैंने,
प्यार किया तुमसे, सोचा मुकद्दर हो तुम;
न समझी तुमने दिल की हालत को मेरी,
नासमझ कहूँ या बिल्कुल बेकदर हो तुम।

दिल्लगी को तेरी दिल की लगी समझा,
संगदिलों की टोली में भी सिरमौर हो तुम;
अलग ही लिया तेरी इशारों का मतलब,
नासमझ हूँ मैं पर कुछ और हो तुम।

दिल टूटने से पहले ही आवाज आ गई,
बर्बाद किया, कहती हो मेरा यार हो तुम?
आग तो लगी है इस दिल में बहुत,
पर कैसे कहूँ मेरा दिलदार हो तुम।


सोचता हूँ छोड़ दूँ यूं घुट-घुट कर जीना,
पर रास्ते की सबसे बड़ी दीवार हो तुम;
जानता हूँ तू बेमुरब्बत है लेकिन, भूलूँ कैसे?
आख़िर पहला प्यार हो तुम।


हंसती हो तुम, जब जब रोता हूँ मैं,
दोस्त तो हो नहीं शायद रकीब हो तुम;
ना मिलेगा मुझसा फ़िर चाहने वाला कोई,
ठुकराया है मुझको बदनसीब हो तुम।

Monday, April 28, 2008

मैं कौन?

इंसानों की बस्ती में एक अदना-सा इंसान हूँ मैं,
सबकी तरह इस दुनिया में बस कुछ दीन का मेहमान हूँ मैं।

मस्ती ही है फितरत मेरी, हर गम से अनजान हूँ मैं,
गम लेकर हूँ खुशियाँ देता, अपनों की पहचान हूँ मैं।

नए दौर की झलक भी मुझमे, पुरखों का भी मान हूँ मैं,
सत्य-मार्ग से डिगा नहीं हूँ, ख़ुद का ही अभिमान हूँ मैं।

पत्थर को जो मोम बना दे, जलता हुआ वो आग हूँ मैं,
मानस पटल पे छ जाता हूँ, यादों का एक भाग हूँ मैं।

दलदल से होकर गुजरूं पर फंसता नहीं वो घाघ हूँ मैं,
दिख जाए कुछ दाग भले पर बिल्कुल ही बेदाग हूँ मैं।

जीवन को मैं प्रेम से तोलूं, इसके लिए गंभीर हूँ मैं,
पथ में भले निराशा मिले पर आशा के लिए धीर हूँ मैं।

साथ हो जिसका सुखद ही हरदम, वो यारों का यार हूँ मैं,
आशा टिकी है सबकी मुझ पर, कईयों का आसार हूँ मैं।

तिमिर तम को दूर हटाऊं, ज्योति दे वो दीप हूँ मैं,
भटके हुए को राह दिखाऊँ, निश्चय ही "प्रदीप" हूँ मैं।

Wednesday, April 23, 2008

हरे राम का तोता

आग, पानी से दूर ही रहो,
एक जलाती, एक डुबाती  है;
मत मोलो खतरा,
बोले, हरे राम का तोता।

डर, आलस के पास न जाओ,
एक रोकती, एक रुकवाती है;
आए खतरा तो लडो,
बोले, हरे राम का तोता।

पैसा, लड़की को समझ से झेलो,
एक भागती, एक भगाती है;
जानकारी ही बचाव,
बोले, हरे राम का तोता।

प्यार, दोस्ती को मिक्स मत करो,
एक सवांरता, एक बचाता है;
दोनों का दरकार,
बोले, हरे राम का तोता।

नशा, पढ़ाई के अंत को जानो,
एक गिराती, एक उबारती है;
नशा नहीं थोड़ा भी,
बोले, हरे राम का तोता।

गम, खुशी के भेद को समझो,
 एक रुलाती, एक हँसाती है;
मस्ती ही हो फितरत,
 बोले, हरे राम का तोता।

Tuesday, April 22, 2008

यंग इंडिया

कल तक जो था नामुमकिन,
उसको भी आसान कर दिया;
जोश और जूनून से भरी,
यह है नई यंग इंडिया।

हर रोज नई तरकीब निकाले,
हर रोज नया एक खोज करे;
शार्टकट में हर काम करने वाली,
यह है नई यंग इंडिया।

पीढियों की जिंदगी से उब सी चुकी,
लोअर लिविंग को गुड बाय कह दिया;
नयापन और नई ताजगी के साथ,
यह है नई यंग इंडिया।

जातिवाद, धर्मभेद नहीं कुछ,
हर नियम को लगभग बदल ही दिया;
अलग सोच के साथ बिल्कुल मनमौजी,
यह है नई यंग इंडिया।

अपनी सभ्यता रास न आती,
पाश्चात्य को ही अपना बना लिया;
फैशन और चकाचौंध की मारी,
यह है नई यंग इंडिया।

दोस्ती के नए तरीके और बहाने खोजती,
मोबाइल और नेट से ही सबकुछ कर लिया;
विपरीत लिंग के पीछे पागल-सी,
यह है नई यंग इंडिया।

गंभीरता नाम की अब चीज़ न कोई,
मस्ती को ही फितरत कर लिया;
क्रिकेट और फिल्मों की दीवानी,
यह है नई यंग इंडिया।

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-प्रदीप