फटी-सी एक डायरी में,
लिख रखा है मैंने;
है पाई-पाई का तेरे,
हर जख्मों का हिसाब |
कब तूने तोड़ा दिल,
कब की थी रुसवाई;
कब हुई थी बेवफा,
हर तारीख है जनाब |
क्यों फोन का मेरे,
न दिया था जवाब,
भागती ही रही दूर,
ओढ़ नकली हिज़ाब |
पछताओगी एक दिन,
याद करोगी मुझको;
जब ढल जायेगा यौवन,
जब लगाओगी खिजाब |
वो मुस्कुराहट भी तेरी,
बेशर्मों-सी ही थी;
जब घुटनों के बल आके,
तुझे देता था गुलाब |
बस दोस्त कभी कहती,
कभी प्यार थी बनाती;
बिन पेंदी के लौटा का,
तुझे दूंगा मैं खिताब |
दुखाया है इस दिल को,
तूने जाने कितनी बार;
आंसूं हैं दिए तूने,
मुझ गरीब को बेहिसाब |
झूठे तेरे प्रेम पत्र,
फेंक दिए हाँ मैंने;
कोई गिरा गंगा में,
कोई जा गिरा चिनाब |
कभी प्यार से की बातें,
कभी गोलियां जैसे बोली;
लहू-लुहान किया दिल को,
क्या तेरा भाई था कसाब ?
न हो तू यूँ बेताब,
तुझे मिल जायेगा जवाब;
जब छापूंगा ये किताब,
तेरे जख्मों का हिसाब |
आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल रविवार, दिनांक 29 सितम्बर 2013, को ब्लॉग प्रसारण पर भी लिंक की गई है , कृपया पधारें , औरों को भी पढ़ें और सराहें,
ReplyDeleteसाभार सूचनार्थ
superb creation with delicate emotion
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (29-09-2013) तुकबन्दी: चर्चामंच - 1383 में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्यार में उचित है रूठना शिकायत करना
ReplyDeleteपर ये शिकायतें नहीं ,है एक उत्कृष्ट रचना l
नई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
नई पोस्ट साधू या शैतान
प्यार में उचित है रूठना शिकायत करना
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सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार भाई प्रदीप जी-
लाजवाब.............
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया,सुंदर हास्य रचना !!!
ReplyDeleteRECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.
bahut hi sundar.....specially
ReplyDeleteबस दोस्त कभी कहती,
कभी प्यार थी बनाती;
बिन पेंदी के लौटा का,
तुझे दूंगा मैं खिताब
मेरा बिता हुआ कल याद आ गया काफी अच्छी कविता है
Deletebahut hi sundar.....specially
ReplyDeleteबस दोस्त कभी कहती,
कभी प्यार थी बनाती;
बिन पेंदी के लौटा का,
तुझे दूंगा मैं खिताब
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,धन्यबाद।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति my dear brother ....
ReplyDeleteआभार भाई प्रदीप जी-
सुन्दर रचना।। आभार।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : सदाबहार अभिनेता देव आनंद
कभी प्यार से की बातें,
ReplyDeleteकभी गोलियां जैसे बोली;
लहू-लुहान किया दिल को,
क्या तेरा भाई था कसाब ?
न हो तू यूँ बेताब,
तुझे मिल जायेगा जवाब;
जब छापूंगा ये किताब,
तेरे जख्मों का हिसाब |
न कहो किसी को कसाब ,
आजायेगा अजाब दिल के समुन्दर में।
(अजाब जलजले को भूकंप को कहते हैं )
kya baat hai srimaan ...................achha hisaav..behatreen andaj
ReplyDeleteplz visit here also...and follow me that will be my pleasure
http://anandkriti007.blogspot.com
इंजीनियर साहेब |
ReplyDeleteबहुत गजब की काव्य रचना हैं जनाब
............:)
यौवन ढलने पर जरुर पछ्तायेंगी |हा हा
“किन्तु पहुंचना उस सीमा में………..जिसके आगे राह नही!{for students}"
umda rachna
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteख़ूबसूरत हास्य रचना
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और अद्भुत कविता
ReplyDeleteFAMILY QUOTES IN HINDI