tag:blogger.com,1999:blog-5202377929099351505.post6826794689853519318..comments2023-10-31T21:08:31.369+05:30Comments on मेरा काव्य-पिटारा: सबसे विराट गणतंत्र हमाराAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5202377929099351505.post-7791749719744293542011-01-29T12:30:59.156+05:302011-01-29T12:30:59.156+05:30सामरिक,आर्थिक,नैतिक बल में भारत जैसा कोई नहीं है,
...सामरिक,आर्थिक,नैतिक बल में भारत जैसा कोई नहीं है,<br />धर्मनिरपेक्षता,एकता,अखंडता,मानवता में हमसा कोई नहीं है।<br /><br /><br /><br />बिलकुल सच कहा है आपने .....आपकी रचना को पढ़कर गर्भ का एहसास हुआ ...आपका आभार <br />आप अनवरत लिखता रहें....शुभकामनायेंकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5202377929099351505.post-75007695312408953852011-01-27T17:37:16.653+05:302011-01-27T17:37:16.653+05:30आपकी यह कविता...
और इससे पहले की कविता, ‘क्यों मिल...आपकी यह कविता...<br />और इससे पहले की कविता, ‘क्यों मिलती नहीं है मौत भी।’...<br />एक साथ रखकर पढ़ी...<br />और गज़ब के अंतर्विरोध से सामना हुआ...<br /><br />एक तरफ़ मौत तक मयस्सर नहीं दिखती...<br />दूसरी और महिमा-गान...<br /><br />इससे अंतर्विरोध से जूझना कविता को आगे बढ़ाएगा...शुभकामनाएं...रवि कुमारhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.com