मेरे साथी:-

Saturday, November 9, 2013

तू कौन ?

(डायरी से सौन्दर्य रस की एक रचना )

बिजली गिराती हैं तेरी अदाएं,
ख़ुदा ने जो भेजा वो नूर हो तुम;
देख ही बस सकता, छूना भी मुश्किल,
पहुँच से सबकी बहुत दूर हो तुम |

आँखों में चमक, होंठों पे मुस्कान,
दिल में उमंग लिए सुरूर हो तुम;
देखकर तुझको यूँ लगता है ऐसे,
आसमान से उतरी कोई हूर हो तुम |

भोली छवि होगी, सोचा था हमने,
पर अलग छवि लिए इत्तफाक हो तुम;
कुदरत ने बनाया, कुछ ऐसा ही तुमको,
कह नहीं सकता कोई ख़ाक हो तुम |

अंदाज-ऐ-बयां तुमको कुछ ऐसा मिला,
दिल से निकली हुई आवाज हो तुम;
रहस्यों का सागर अपने दिल में लिए,
सबके लिए खुद ही एक राज हो तुम |

सरल नहीं हरदम, छेड़ना जिसको,
संगीत का ऐसा ही एक राग हो तुम;
छूने से जिसको, पिघल जाये पत्थर,
सचमुच में वो ठंडी आग हो तुम |

दिल में लिए कई मचलते अरमाँ,
जो तुम हो नहीं कोई और हो तुम;
मधुर स्वप्न लेकर आँखों में कई,
राह में बढ़ी, नया दौर हो तुम |

( कॉलेज में एक लड़की ने कहा कि बहुत कविता लिखते हो, मेरे ऊपर कोई कविता लिखो | मैंने फिर ये कविता लिखी | पर पढने के बाद लगा की कुछ ज्यादा हो गया, इसलिए उसे सुनाया नहीं और कहा कि मैं लिख नहीं पाया )

27.09.2004

11 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति--
    आभार आदरणीय-

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर नायिका चित्रण !
    नई पोस्ट काम अधुरा है

    ReplyDelete
  3. वाह क्या बात है..

    ReplyDelete
  4. खूबसूरत रचना बधाई आपको ।

    ReplyDelete

  5. उम्र इस मुकाम पर भावनाएम कुछ
    ऐसी ही होती है.कल्पनाओं को पंख दे दिये.

    ReplyDelete
  6. क्या बात है जी ...खूबसूरत अंदाज़ में प्रस्तुति

    ReplyDelete
  7. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

    ReplyDelete
  8. सरल नहीं हरदम, छेड़ना जिसको,
    संगीत का ऐसा ही एक राग हो तुम;
    छूने से जिसको, पिघल जाये पत्थर,
    सचमुच में वो ठंडी आग हो तुम |

    बहुत सुन्दर रचना है। दोस्त भाव जगत और रागात्मकता में ज्यादा कुछ नहीं होता है सुना देना था रचना। किसे अच्छी नहीं लगती अपनी देह यष्टि की स्तुति ?

    ReplyDelete
  9. ohh suna diye hote sahab.......

    ReplyDelete

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप