मेरे साथी:-

Tuesday, May 24, 2011

हर शख्स दिल का सहारा नहीं होता

राह-ए-जिन्दगी में करोड़ों से होती है मुलाकात,
ऐ "दीप" हर शख्स दिल का सहारा नहीं होता ।
समन्दर में चाहे जिस ओर मोड़ लो कश्ती,
अफसोस! हर तरफ एक किनारा नहीं होता ।
चंद लोग हर कदम पे चलते साथ-साथ,
सब लोग के मरजी पे वश हमारा नहीं होता ।
चंद लोग ही सफर को आसाँ हैं करते,
हर कोई दिल-ए-गुलजार तुम्हारा नहीं होता ।
सफर में गर कोई छोड़ देता है हाथ,
चंद साथ के छुटने से कोई बेसहारा नहीं होता ।
निकाल लो चाहे झील से कुछ पानी,
उस पानी के लिए झील कभी बेजारा नहीं होता ।

3 comments:

  1. सही कहा हर कोई सहारा नहीं होता,

    ReplyDelete
  2. चंद लोग हर कदम पे चलते साथ-साथ,
    सब लोग के मरजी पे वश हमारा नहीं होता
    pradeep ji bahut sundar bhavabhivyakti hai fir bhi yadi aapko sahi lage to har kadam pe chalte ke bad ''hain'' aur sab log ko ''logon kee''kar len to meri alp buddhi se ye jyada achchha lagega.

    ReplyDelete

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप